उपनिषद ज्ञान भाग 3 Upanishads wisdom
उपनिषद ज्ञान भाग 3 :
■ प्रिय जन को मेरा हार्दीक नमस्कार | 🙏
🔵 आज थोडीसी पूर्व पीठीका बताता हूं । पहले मैं अध्यात्म पर भाषण करता था । तब मैं सोचने लगा की :-
1️⃣ मैं आध्यात्म की सारी की सारी बातें जैसे के तैसे स्वीकारता हूं या नहीं ?
2️⃣ और यह भी सोचने लगा कि जो मुझे accepted है स्वीकृत है वह मैं पूरे के पूरे तरह से जीवन में लाता हूं कि नहीं ?
■ इसका जवाब नकारात्मक होने के कारण मैंने अपना अध्यात्म पर भाषण देना बंद कर दिया ।
🟢 फिर आज 15 साल के बाद क्यों उपनिषद बता रहा हूं ? यह सही सवाल है ।
इसका जवाब है कि :-
1️⃣ मैं खुद साधु, संत या आध्यात्मिक गुरु के हैसियत से नहीं बोल रहा हूं ।
2️⃣ मैं स्वीकृत करता हूँ कि यह यह चीज मुझे स्वीकृत नहीं है । l agree to defer with certain preaches. अब यहां पर जो स्वीकृत है उसे बोलूंगा नहीं है उसे नहीं कहूंगा |
हिंदू धर्म ही क्या मेरा तो सभी धर्म से आज यह आवाहन है के नए सिरे से हर एक वक्तव्य का परिशीलन करें और उसमें जो अच्छी बातें हैं वह रखें और जो धर्म विचार सही नहीं है वह स्वीकार न करें ।
3️⃣ कोशिश कर रहा हूँ की जो स्वीकृत है उसे जीवन में लाउं । और कुछ हद तक यशस्वी भी हो रहा हूं परिपूर्ण तो शायद मरते दम तक भी ना हो पाऊंगा ?
आज तक बहुत थोड़े लोग ऐसे हुए हैं जो आध्यात्मिक में बताए हुए सारी चीज जो के त्यों जीवन में ला पाए हैं । विश्वामित्र जी काम संतप्त हो गए, दुर्वास जी क्रोध संतप्त रहते थे; जब के भगवान ने अपने गीता मे तो बहुत जगह यह बताया हुआ है कि काम और क्रोध तो सबसे बड़े दुश्मन है ! हो नहीं पाया उनसे । 🕵🏼♂️
यह मर्यादा बड़ो बड़ों की होती है मैं कौन सा अपवाद रहूंगा ? खुद कोशिश कर रहा हूं और बाकी लोगों को बता के उनको भी इस रास्ते पर ले आने की कोशिश करूंगा । सभी आगे चलेंगे, पहुंचेगी कोई - कोई नहीं पहुंचेगी ।
● विश्वामित्र और दुर्वास जी के उदाहरण यह नकारात्मक विषय नहीं है ।
किंतू सोचेंगे की; असफल कोई हुआ, कोई सफल हुआ - इससे मुझे फर्क नहीं पड़ेगा । जो अच्छा है वह जीवन में लाने की कोशिश जारी रखूंगा ।
4️⃣ अब सीनियर सिटीजन होने के बाद चौथी सबसे महत्वपूर्ण बात यह सोच रहा हूं के जो भी हमारे उपनिषद की धरोहर है वह अगले पीढ़ी तक पहुंचनी चाहिए । इसमें से कितना स्वीकारना है यह आपकी सोच है, कितना अपने जीवन में लाना है यह भी आपकी सोच है । लेकिन यह धरोहर चालू रहनी चाहिए; क्योंकि इसमें ज्यादा से ज्यादा अच्छा मार्गदर्शन है जो हमें अपने जीवन में शत प्रतिशत उपयुक्त होगा । 💯
जीवन में सुख और समृद्धि लाने में मददगार होगा ।
और सारे विश्व के लिए भी अच्छा रहेगा ।
🌐जय जगत् 🙏
हरि 🕉️ तत्सत् ।।
आपका अपना, डॉक्टर प्रसाद फाटक. पुणे. भारत.
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