दोष व्याधी चिकित्सा
3 का तिरंगी खेल ।
तो होगी तबियत फेल ।
करो उपाय तो बन जायगा मेल ।
*3 दोष होते है वे दुष्ट होने पर लक्षण व व्याधी बना देते है ।*
वात दोष से होती है रुक्षता.. *dryness*
कफ से गुरुता..*heavyness*
और पित्त से पूय निर्मिती... *pus formation* ।।
चिकित्सा मे हम उसके *विरुद्ध गुणोन्का संगम* करके दुषीत दोष को खदेड देते है या निर्विष करते है ।
एक साधारण सा उदाहरण दे रहा हु 👇
आप *जब गर्मी लगती है तो क्या करते हो ?* थंडा कुछ करते हो ना ? जैसे थंडा पानी पिना या छिडकना । मतलब विरुद्ध गुण संयोग 😊
बस वही है हमारी चिकित्सा का मूलमंत्र ।
धन्यवाद
आपका अपना;
वैद्य प्रसाद फाटक पुणे
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