उपनिषद ज्ञान भाग ~ १२ Upanishada endorse Science and Spiritualism.

उपनिषद ज्ञान भाग ~ १२
इशावास्य उपनिषद श्लोक १० और ११ -
अन्यदेवाहुर्विद्ययाऽन्यदाहुरविद्यया ।  
इति शुश्रुम धीराणां ये नस्तद्विचचक्षिरे ।।१०॥ 
विद्यां चाविद्यां च यस्तद्वेदोभयं सह ।  
अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययाऽमृतमश्नुते ।। ११।। 
शब्दार्थ : विद्या से अन्य ही कुछ, ओर अविद्या से अन्य ही कुछ फल होता है ।
धीर लोगों ने विद्या और अविद्याको जो व्याख्या की है 
उससे ऐसा ही सुनते आये हैं ॥१०॥ 
 विद्या तथा अविद्या --इन दोनों को जो एक साथ जानते हैं 
वे अविद्या अर्थात्‌ भौतिक-विज्ञान ( science ) 
से मुत्यु लाने वाले प्रवाहो को तर जाते है और विद्या अर्थात्‌ अध्यात्म-ज्ञान से अमृतः को चखते है ।११।। 
भावार्थ : हमने पिछले श्लोक में देखा था के केवल भौतिक या केवल आध्यात्मिक इसमें से एक को पकड़ के रहोगे तो एकांगी हो जाओगे... तो नष्ट हो जाओगे । यह बात क्यों कैसे सच है यह १० और ११ वें श्लोक में मुनीवर बता रहे हैं । कहते हैं कि जो science है मतलब फिजिकल scienses हैं उनका कोई एक फल / benefit होता है । और जो स्पिरिचुअल थॉट्स है उनका एक अलग से फल / benefit होता है ।
हमें चाहिए कि हम दोनों फल प्राप्त करें । एक फल प्राप्त करेंगे तो दूसरा रह जाएगा और दूसरा करेंगे तो पहले रह जाएगा । इन दोनों में से एक भी रह जाता है तो जीवन विफल ही होता है । 
हम भौतिक विज्ञान को जानकर हम मृत्यु लाने वाले अनेकों अनेक चीजों से बच सकते हैं । देखो ना पश्चिम के याने वेस्ट के लोगों ने भौतिक ज्ञान या science का बखूबी अभ्यास किया केवल साइंस से नहीं applied sciences भी डेवलप किये और उसके कारण आज देखो जैसे टेक्नोलॉजी और साइंस की परिसीमा हुई वैसे विकास हुआ है तब ही इन 500 साल में विश्व के आबादी बढ़ गई है  । 
मैंने एक पोस्ट की थी जिसमें पूरे एक दो लाख साल का तो नहीं लेकिन 2 / 5 हजार सालों की शास्त्रीय दृष्टि से निकाली हुई आबादी के आंकड़े मैंने दर्शाये थे । उसका यदि आप आलेख निकालेंगे तो आंकड़े कहते हैं की 500 साल में आबादी बहुत बढ़ गई और उसमें भी लास्ट 100 साल में तो बहुत ज्यादा बढ़ गई । क्यों ? क्योंकि भौतिक विज्ञान के कारण मृत्यु को रोकना / दूर रखना संभव हुआ । अलग-अलग कारण है आज उसमें नहीं जाएंगे ।
तो आगे कहते हैं कि विद्या से यानी स्पिरिचुअल ज्ञान से आप अमर हो जाओगे ।
 आज चाहे कितने भी आबादी बढीँ हो, मृत्यु दर कम हुआ हो । मृत्यु तो आती है, आज भी अल्प उम्र में भी मृत्यु आती है ।
 तो मृत्यु का भय बना रहता है । यदि आप मृत्यु के भय में हो तो आपका जीवन कैसे सुखी हो पाएगा ? इसलिए आपको चाहिए आध्यात्मिक ज्ञान! ज्ञान से पता चलेगा की मृत्यु कुछ है ही नहीं । हम अमर हैं । हम शरीर नहीं है, आत्मा है - इसलिए हम अमर है । यह बात जब गहराई से सोचते जाएंगे; तो शरीर तो जाएगा लेकिन हम अमर हो जाएंगे । और इस प्रकार यह विचार रहेगा तो मृत्यु का भय निकल गया ।
कहने जितनी आसान बात नहीं है, लेकिन आहिस्ता आहिस्ता होता है ।
जिसने मृत्यु के भय को जीता; वही है सिकंदर । उसी का है ज्ञान, उसी का है विज्ञान । उसी का है आनंद । 
हमारे जीवन में आहार, धन, कपड़ा व मकान यह प्राथमिकताएं तो है ही है । लेकिन उसके बाद महत्वपूर्ण है कि हम भय मुक्त रहें और सुख से रहे ।
 Science से पहले चार और spiritualism से आखरी दो प्राप्त हो जाएंगे और जीवन हो जाएगा सफल!
हरि 🕉️ तत्सत् ।।
आपका अपना, डॉक्टर प्रसाद फाटक. पुणे. भारत.
9822697288

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