उपनिषद ज्ञान भाग ~ ११ Upanishada wisdom for our use.

उपनिषद ज्ञान भाग ~ ११ 
अन्धं तमः प्रविशन्ति येऽविद्यामुपासते । 
ततो भूय इव ते तसो य उ विद्यायां रताः ॥९॥ 
शब्दार्थ : जो " अविद्या "अर्थात्‌ भौतिकवाद" ( materialism ) की उपासना करते है वे गहन अन्धकार मे जा पहुंचते हैं, ओर जो “विद्या " अर्थात्‌ 
अध्यात्मवाद " ( spiritualism ) मे रत रहने लगते है; और भौतिक-जगत्‌ की परवाह ही नहीं करते वे उससे भी गहरे अन्धकार मे पहुचते हैं 
 ॥९॥  balance the both!
कई लोगों को यह लगता है कि हमारी जो सांस्कृतिक धरोहर है वह केवल भौतिक जीवन का त्याग सिखाने वाली ही है । वैसा था तो नहीं  लेकिन लोगों को वैसा होने का एहसास होता रहा इसका कारण है की बीच वाले समय में भक्ति मार्ग आदि का आग्रह करते हुए कामना वासना और भौतिक जीवन की बाकी सभी इच्छाओ को  बहुत कम आंका गया ।  यह बात लोगों के जीवन में आइ ऐसे तो नहीं; लेकिन सर्व सामान्य लोगों की या सामाजिक भावना ऐसे रही कि केवल भक्ति में रत रहो । केवल सदा सर्वदा देव देव करो । यह हो गया था । 
 उसके पहले का एक समय था जब कामशास्त्र के अनुयाई और अध्यात्म ज्ञान वाले आमने सामने बैठकर वार्ता करते थे, वाद संवाद करते थेखुलापन भी था । फिर यह बीच का दौरा आ गया । उपनिषद का जो मार्गदर्शन है वह अलग-थलग रह गया । इसलिए हम सिर्फ पीछे जाकर यह देख रहे हैं की उपनिषद ने क्या बोला है ?
 तो हमें यह पता चल रहा है कि; ऐसे केवल भौतिकवाद का अनुसरण करने में कोई फायदा नहीं । क्योंकि लोग फिर अलग-अलग वासनाओं में लिप्त हो जाते है और गहन अंधकार में यानी लॉस में जाता है । अपयश में जाता है । 
और केवल देव देव करने वाला उसे जो भौतिक जीवन के समृद्धि है उसे वंचित रहना पड़ता है, आलस्य भी बढ़ता है । मेरे भगवान मेरे को दे देंगे । इस प्रकार से नकारात्मक भाव भी आ जाता था । आज भी आता है । तो उन्हे भी मुनियों ने स्पष्ट शब्दों में नकारा है । केवल आध्यात्मिक ज्ञान से काम नहीं चलेगा, भौतिक विज्ञान भी चाहिए, उसका अनुसरण भी करना चाहिए और प्रगति भी करनी चाहिए । भगवान ने भी गीता के कर्म योग में यही कहा था | ऐसे खाली बैठे रहोगे _ हमे कॉट / खटिया पर भगवान सब कुछ दे देगा करके बैठते रहोगे तो दोनों चीज हाथों से छूट जाएगी | आध्यात्मिक ज्ञान भी नहीं होने वाला है । इसलिए कर्म करो । और कर्म करने के लिए अध्यात्म का और भौतिक जगत् का जैसे ज्योतिष आयुर्वेद आदि हैं इनका भी ज्ञान लेना चाहिए । 
इसलिए उन्होंने दोनों दुनियाओं के बीच बेहतरीन संतुलन सिखाया और हम इसे बहुत आसानी से भूल गए। पश्चिमी लोगों ने अपना काम सही तरीके से किया और बहुत आगे निकल गए। 😔
हम सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। 
हम विश्व की  भोगवादी दुनिया को संतुलन का आध्यात्मिक ज्ञान भी दे सकते हैं।
हरि 🕉️ तत्सत् ।।
आपका अपना, डॉक्टर प्रसाद फाटक. पुणे. भारत.
9822697288




Comments

Popular posts from this blog

herpes treated fast by ayurveda: herpes zoster. PHN or pain after herpes. Herpes simplex well treated. genital herpes.

Dr Prasad phatak treats Nagin ya herpes by Ayurveda very fast

Psoriasis and ayurveda. eczema ayurveda twacha rog ayurveda.