उपनिषद ज्ञान भाग २. The upanishadas.
📃 उपनिषद ज्ञान भाग 2 : हमने भाग 1 में देखा के ईशावास्य उपनिषद के मंगलाचरण में कहां है कि; यह पूरा विश्व एक है, परिपूर्ण है और इसे ही भगवान या परमात्मा कहते हैं । और हम सब उसके छोटे से अंश है । यह जानने से हम विश्व के साथ एकात्मकता का अनुभव करने लगते हैं । इस उपनिषद के पहले श्लोक में ॠषी कहते हैं कि; यह सारा जगत् परमात्मा का आवास है । जैसे गठरी में कुछ सामान होगा तो उसे किसी कपड़े ने cover किया हुआ होता है; वैसे यह पूरा जगत उसने आच्छादित करके रखा है । जगत् का मतलब है जो गतिशील है वह । तो जगत् का मतलब हुआ फिजिकल वर्ल्ड और मेरी फिजिकल बॉडी और यह पृथ्वी आदि ग्रह सूर्य आदि तारे ! इन सब में गती है । वह सब उसके अंदर है परमात्मा के अंदर है । अर्थात इसका मतलब यह नहीं हुआ की उस परमात्मा के दो भाग हो गए या उसके टुकड़े हो गए । बिल्कुल नहीं हुए । बल्कि हम सभी उसका ही हिस्सा है, हम सब जो है वह गतिशील जगत् और महाभूत पार्थिव है, जो फिजिकल है - जैसे कि यह प्रसाद नाम का शरीर आपका किसी और नाम का शरीर यह सब उसके टेनेंट है किराएदार है । मालिक वही परमात्मा है । इसलिए जानना चाहिए...