मानवता और धर्म. नास्तिकों की मानवता.

■ मैं हाल ही में फ्रैंकफर्ट-शिकागो फ्लाइट से यात्रा कर रहा था। उस समय मेरी मुलाकात एक पोलिश व्यक्ति से हुई। जब हमने उससे बातचीत की, तो उसने कहा; 'मैं नास्तिक हूँ। ईसाई धर्म में तरह-तरह की अनैतिकता देखकर मैंने खुद को बाहर कर लिया।' 
● फिर हमारी मानवता के बारे में कुछ बातें हुईं। उस समय उसने एक बहुत बढ़िया कथन कहा कि; "यदि आप एक अच्छे इंसान बनना चाहते हैं, तो आपको धर्म या ईश्वर की आवश्यकता नहीं है।" कितना बढ़िया वाक्य है! मैंने पहले भी यह कहा है। लेकिन चूँकि मैं एक धार्मिक व्यक्ति हूँ, इसलिए उस नास्तिक पोलिश व्यक्ति का यह कथन मेरे द्वारा कही गई बात से अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए मैंने इसे यहाँ उद्धृत किया है। 
■ फिर सवाल उठता है - हमें इस तथ्य से क्या समझना चाहिए कि मानवता के बारे में लिखते समय अक्सर धर्मों का उल्लेख किया जाता है? यदि धर्म के बिना मानवता बढ़ सकती है। तो फिर धर्म का उल्लेख करने की लगातार आवश्यकता क्यों है?
 □ इसके पीछे दो कारण हैं, एक अच्छा और एक बुरा। 
● 1 अच्छा कारण यह है कि मूल रूप से जैसा कि हमने पहले लिखा; धर्म की रचना इसलिए की गई ताकि मानवता विकसित हो सके। फिर इन धर्मों ने मनुष्यों को मानवता सिखाई। आज भी मनुष्यों का एक बड़ा वर्ग धर्मों को मानता है। इसलिए, यदि इन सभी धर्मों के मनुष्यों द्वारा धर्मों की अच्छी/सही शिक्षाओं का पालन किया जाए, तो मानवता को बहुत बड़ा सहारा मिलेगा। [मानवता इस बात के लिए है, ताकि पूरा विश्व सुखी, संतुष्ट और समृद्ध हो सके।] - इसी अच्छे कारण से हम धर्मों का उल्लेख करते हैं। यानी सही मायने में लोग धार्मिक बनने से मानवता बढेगी। 
● 2 धर्म का उल्लेख एक नकारात्मक कारण से भी करना पड़ता है - जो धर्म मानवता के लिए बनाए गए; उनमें सदियों से होते आए संघर्ष के कारण बहुत रक्तपात हुआ है। करोड़ों लोग मर गए। वह अब भी हो रहा है। यदि आप अपने धर्म का अच्छी तरह से अध्ययन करेंगे और नकारात्मक भागों को हटा देंगे, तो ही वह धर्म दुनिया के लिए उपयोगी होगा। यदि आप अपने धर्म में सुधार भी करते हैं और उसका सही तरीके से पालन भी करते हैं; तो यह विश्व शांति के लिए उपयोगी होगा। 
¤ दूसरे धर्मों से नफरत व एक गलत इच्छा कि सारा विश्व आपके धर्म में आ जाए और आपका धर्म दुनिया पर राज करे - इससे होते हैं धार्मिक संघर्ष.....
हमें इन सब बातों को छोड़कर आगे बढ़ना होगा। 
■■ इन दो कारणों से धर्म चर्चा हमारी मानवता की बातों में आती है। 
● जो बची हुई बड़ी संख्या है जो किसी भी धर्म को नहीं मानती, उनके लिए खुद को बेहतर इंसान बनाना निश्चित रूप से संभव है। 
☆समूह स्तर पल इसके लिए दूसरों पर अनैतिक तरिके से शक्ति का प्रयोग करने की इच्छा, दूसरों पर शक्ति का प्रयोग करना और उनका शोषण करना, दुनिया को जीतने के लिए आक्रमण करना, दूसरे देश को जीतने के लिए आक्रमण करना। आ
☆ व्यक्तिगत स्तर पर, अपने स्वार्थ और इच्छाओं के लिए दूसरों को परेशान करना, उन्हें नीचे खींचना, उनकी थाली छिनना, corruption... आदि सब बंद करें ।
यह करें - ईमानदारी से काम करके आगे बढ़ना, दूसरों के बारे में सोचकर अच्छा जीवन जीना - आप विभिन्न अभ्यासों के माध्यम से अपने आप को एक बेहतर इंसान बन सकते हैं, चाहे आप धार्मिक हों या नहीं। .... यहाँ लेखन की सीमा है।

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