हिंगाष्टक आयुर्वेदिक दवा hingashtak very effective ayurvedic medicine.

हम ने आज बोल दिया कि वर्षा ऋतु में अग्नि कम हो जाता है, अम्लता बढ़ जाती है । तो इन दिनोंमें कुछ दवाइयां बहुत उपयुक्त होती है जिसमे है सोंठ, सैंधव और जीरे है जो पाचन कराते ही है और फिर  अग्नि को भी तेज करनेमे तथा जलगत अम्लता को कम करनेमे समर्थ करते है । अम्ल के विरुद्ध होता है - क्षारधर्म जो इनमे होता है । 
इन दिनोंमें आपको चाहिए कि दोपहर के भोजन उपरांत मीठा छास ले उसमे हिंग्वाष्टक डाल के - तो भोजन का पाचन अच्छेसे होगा । छास में रुक्षता का गुण है जो हमारे अंदर वर्षा ऋतु के कारण पैदा होने वाले क्लेद याने आर्द्रता या wet ness को  दूर करनेमे मदद करता है; coupled with above पाचक द्रव्य । इसमे जीरा है जो शीत धर्मी है जो अन्य उष्ण द्रव्य को थोड़ा ठंडक दिलाता है । फिर भी हिंगाष्टक थोड़ा उष्ण रह जाता है जो ऋतु अनुसार ठीक भी है । लेकिन जिन्हें तकलीफ हो वे वैद्य की सलाह जरूर ले ।
हिंगाष्टक से indigestion, भूख न लगना, diorhea, amoebiasis, पेट मे दर्द होना, पेट भारी होना,  खाने के बाद तुरंत शौच जाने की तकलीफ होना आदि विकारोमे फायदा करता है ।
वैधानिक इशारा : पित्त प्रकृति, पित्त के विकार होनेवाले लोग इसे इस्तेमाल ना करें ।
आपका अपना
वैद्य प्रसाद फाटक केशव आयुर्वेदिक क्लिनिक पुणे 2. 9822697288
जय श्रीराम जी की ।

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