फिलहाल गर्मि बहोत तेज होति जा रहि है। हमने पिछले पोस्ट मे उससे कैसे निपटे इसके कुछ मार्गोंका जायजा लिया था। आज हम देखेंगे के इख का रस जिसे महाराष्ट्र भाषा मे उसाचा रस बोला जाता है और जिसका सेवन इस काल मे प्रभुत मात्रा मे किया जाता है; कैसे इस धुप मे हमे लाभकारि होता है। एक तो हमने कहा था कि इन दिनो हमे सुर्यदेवता के तिव्रता के कारण शुश्कता का सामना करना पडता है और जल या जलयुक्त द्रव पदार्थोंका सेवन आवश्यख हो जाता है। इख रस ये काम बखुबि करता है। दुसरि बात जो बल कम हो जाता है, धुप मे चलने घुमने से यकायक थकान महसुस होति है उसकि क्षतिपुर्ति भि इससे भलि भाती हो जाति है। क्युं कि यह मधुर और स्निग्ध गुणोंसे भरपुर है। तिसरा और महत्वपुर्ण बिन्दु यह कहा जाता है कि यह शितल है। पर्यावरण कि गर्मि जो हमारे शरिर को प्रभावित करति है उसे दुर करने हेतु यह बहुत काम आति है। इसके अलावा इख मुत्र कि प्रव्रुत्ति बहुत प्रभावि रुप से करति है। हम इसे अश्मरि व्याधि मे इसि कारण हि तो उपयोग मे लाते हैं। मुत्र मे जो उष्णता भरने के आसार इस वक्त हैं, वे भि इसि कारण बहुत कम हो जाते हैं।